‘कुंजी’ क्या है?
यह भी एक प्रकार का फास्टेनिंग टूल होता है जिसमे किसी सामानांतर शाफ़्ट पर पुली, गियर आदि को शक्ति को ट्रांसफर करने के लिए प्रयोग करता है, उसे कुंजी (key) कहते है जिससे शाफ़्ट पर बधे उपकरण को स्लिप होने से बचाता है
इसको जब बनाया जाता है तो इस पारकर से डिज़ाइन किया जाता है की जो के होती है उसका आधा पार्ट शाफ़्ट में व आधा पार्ट उस पर लगने वाले पुल्ली या गियर को लगाया जाता है इसी घाट को ही key way कहते है
चाभी या key को साधारणतः दो भाग में बाटते है
- संक की sunk key
- सैडल की saddle key
संक की sunk key
इस प्रकार
की चाभी को आधी
शाफ्ट में तथा
आधी हब या
गियर या पुल्ली जो लगायी
जाती है में सेट
की जाती है
तथा यह अधिक
टार्क बल को ट्रांसमिट
करने में प्रयोग की
जाती है। जैसे
जहा पर अधिक
लोड के साथ घूमना होता
है
यह आकर के अनुसार कई प्रकार के होते है
1- जिब हैड की jib head key
इस प्रकार की चाभी लगभग सभी कार्यो में प्रयोग की जाती है इसके सरंचना में देखे तो यह एक तरफ से पलाइन व एक तरफ से कुछ टेपर होती है और इसमें हेड भी लगा होता है जिससे हम चोट मारकर उसे सेट करते है और निकालने में भी आसानी होती है इसका चैम्फर कोण 45° होता है
2- वुडरफ कुंजी
Wood Ruff Key
यह अर्द्धवृत्ताकार होती है। इसको सेट करने के लिए हब या गियर में एक आयताकार चाभी का रास्ता बनाया जाता है। लेकिन शाफ्ट के अन्दर कुंजी (की) को मोटाई में सर्कुलर चाबी रास्ता (circular key-way) बनाया जाता है। और यह शाफ्ट में बाईं व दाईं ओर झुक सकती है,इसलिए इसे अरजेस्टबल की भी कहते हैं।
इस प्रकार की कुंजियाँ
टेपर शाफ्ट या
स्पिण्डल को सेटिंग
के लिए
बढ़िया होती है
। और इसका
उपयोग अधिकतर ऑटोमोबाइल
उद्द्योग में
किया जाता है।
3- गोलाकार की round key
यह देखने में एक
छोटी पाइप की
तरह होती है
अर्थात एक खोखली
गोलाकार की जैसी
होती है और
यह आधी शाफ़्ट
में और आधी
हब में सेट
होती है इसमें 1 : 50 का टेपर होता है। इसे ‘पिन कुंजी’ (pin key) भी कहते हैं…
सैडल ‘कुंजी’ saddle key
इस प्रकार की ‘की की सेटिंग
में शाफ्ट में चाभी रास्ता
(key-way) नहीं बनाया जाता। सिर्फ हब में ही
बनाया जाता है। यह अपने आप पर लगाने
वाले बल से ही बने घर्षण बल के द्वारा ही
पॉवर का ट्रांसमिशन करती हैं।
यह निम्न दो प्रकार (two types) की होती हैं-
1- फ्लैट या सॉलिड सैडल की Flate or Solid saddle Key
यह देखने में आयताकार जैसा होता है। और इसका जितना आकर मोटा होता है उसकी की
आकर का की वे हब में बनाया जाता है और शाफ़्ट को
एक थोड़ी जगह पर फ्लैट क्र दिया जाता
है। और यह फ्लैट सतह ‘कुंजी’ की सीट का काम करती है जिस पर यह आसानी से हब को स्लिप नहीं होने देती है ।
2- हॉलो या खोखली सैडल कुंजी hollow saddle key
यह भी आकार में आयताकार
होती है जबकि इसकी शाफ्ट की ओर जो साइड
होती है वह फ्लैट के स्थान गोलाई में बनी होती होती
है, जिसका त्रिज्या शाफ्ट के त्रिज्या के बराबर
होता है। इसकी मोटाई के समान ही हब में चाभी
रास्ता (key-way) बना होता है। यह सिर्फ
केवल घर्षण के कारण ही पॉवर को ट्रांसफर
करती है।कजिसके कारण इसका उपयोग हल्के कामों
के लिए ही किया जाता है।
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