आज के इस टॉपिक में हम लोग गियर के प्रकार के बारे में जानेंगे
गियर के प्रकार (Types of Gears)
गियरों का प्रयोग कृषि, रेलवे, खनन और भी कई विभिन्न प्रकार के बड़े बड़े उद्योगों में किया जाता है।
- स्पर गियर (Spur Gear)
- बिवेल गियर (Bevel Gear)
- हेलीकल गियर (Helical Gear)
- हाइपोइड गियर (Hypoid Gear)
- वर्म और वर्म व्हील (Worm and worm wheel)
- रैक और पिनियन (Rack and Pinion)
- मीटर गियर (Metre Gear)
- आंतरिक/इंटरनल गियर (Internal Gear)
स्पर गियर (Spur Gear)
स्पर गियर सीधे स्ट्रैट दाँत वाले गियर होते हैं। जिनका प्रयोग समानांतर पैरेलल अक्षों के बीच शक्ति और गति को संचारित करने के लिए किया जाता है।
गति को कम या ज्यादा करने के लिए इस प्रकार के गियर का उपयोग किया जाता हैं। इन गियरो को हब या शाफ्ट पर लगाया जा सकता हैं। ये गियर विभिन्न आकार और डिजाइन में उपलब्ध होते हैं और विभिन्न औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के इन गियर का प्रयोग किया जाता है।
जैसा की इमेज में दिखाया जा रहा है
बिवेल गियर (Bevel Gear)
बिवेल गियर लगभग मशीनी शक्ति और गति को संचारित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले एक उपकरण हैं। इन गियर का उपयोग हमेशा आमतौर पर गैर-समानांतर शाफ्टों या अक्षो के बीच शक्ति और गति को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। बिवेल गियर का प्रयोग ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर दो शाफ्ट आपस में एक दूसरे के समकोण यानी 90 डिग्री के कोण पर काटते है । वहां पर बिवेल गियर का प्रयोग किया जाता है। बिवेल गियर पर दांत सीधे या तिरछे भी हो सकते हैं। शाफ्ट के घूमने की दिशा को बदलने की आवश्यकता होने पर ये गियर उपयुक्त होते हैं। अर्थात डायरेक्शन के रिवर्स में भी प्रयोग किये जाते है
हेलीकल गियर (Helical Gear)
यह हेलीकल गियर सरंचना में स्पर गियर के समान ही होते हैं बीएस अंतर इतना होता है की स्पर गियर में दांते सीधे होते हैं। जबकि हेलीकल गियर में दांते एक विशेष एंगल में कटे होते हैं। स्पर गियर में जो दांते होते है सीधे होने के कारण जो लोड लगती है वह एक ही दांत से लगती है और आवाज भी ज्यादा होती हैं। जबकि हेलीकल गियर के दांते एंगल में होने के कारण ज्यादा दांते आपस में संपर्क में रहते हैं और आवाज भी नहीं करते।इन गियर का प्रयोग भी समांतर शाफ्टों में किया जाता है।
हेलीकल गियर दो प्रकार के होते हैं :-
सिंगल हेलीकल गियर (Single helical gear)
डबल हेलीकल गियर (Double helical gear)
हाइपोइड गियर देखने में बिवेल गियर के सामान
ही होता है फर्क सिर्फ इतना होता है इसके दांते तिरछे लेकिन घुमावदार लहरदार होते हैं। इसके साथ केवल हाइपोइड पिनियन का ही प्रयोग होता है। इसका प्रयोग भी गति को होरिजेंटल सॉफ्ट से वर्टिकल साथ में पहुंचाने के लिए किया जाता है।
वर्म और वर्म व्हील (Worm and worm wheel)
वर्म एक गोलाकार शाफ्ट होती है जिस पर डायमीटर में गोलाई में दाते कटे होते है । इसका प्रयोग ऐसे वर्म व्हील के साथ किया जाता है जिसके दांते वर्म शाफ्ट के साथ मिलकर आसानी से मेश करते हैं। इनका प्रयोग ऐसी जगह किया जाता है जहां पर दो शाफ्टें आपस में एक दूसरे को क्रॉस करती हो अर्थात 90 का कोण हो । इसके द्वारा गति को Crosswise ट्रांसमिट किया जाता है। इसके द्वारा मशीन की गति को भी कम किया जाता है।
इस प्रकार की गियर का उपयोग भार उठाने वाली मशीनों और इंडेक्सिंग हैड (Indexing head) में किया जाता है।
रैक और पिनियन (Rack and Pinion)
रैक एक चौड़ी पट्टी होती है जिस पर सीधे दांते कटे होते हैं इसके साथ मेश करने के लिए स्पर गियर को पिनियन के रूप में उपयोग में लिया जाता है। इसके द्वारा मशीनों के वर्किंग टेबल तथा स्लाइडो को ऊपर नीचे और आगे पीछे सरकाया जाता है। रैक और पिनियन की मदद से रेखीय गति को घुमाऊ गति में और घुमाऊ गति को रेखीय गति में आसानी से बदला जा सकता है।
मीटर गियर (Metre Gear)
मीटर गियर भी देखने में
बिवेल की जैसी ही होते हैं यह गियर 90 डिग्री
के कोण पर आपस में फिट होते हैं इन गियर के दांते 45 डिग्री के कोण पर बने होते हैं और इसके दोनों गियर एक ही साइज के होते हैं।
आंतरिक/इंटरनल गियर (Internal Gear)
आंतरिक गियर दिखने में एक रिंग जैसा ही होता है। इसमें रिंग में दांते बाहर की बजाय अंदर की सतह पर कटे होते हैं। आमतौर पर आंतरिक गियर का प्रयोग ऑटोमोबाइल क्षेत्र ज्यादा होता है।
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स्पर गियर